परिचय
Giloy गुडूची –
कुल: (मेनिस्पर्मेसी – Menispermaccae)नाम-लेटीन- टिनोस्पोरा कॉडिकोलिया (Tinospora cordifolia
संस्कृत नाम: गुडूची, मधुपर्णी, अमृता, छिन्नरुहा, वत्सादनी, तन्त्रिका, कुण्डलिनी, चक्रलक्षणिका;
हि०- गिलोय, गुडिच
Giloy स्वरूप -यह एक बहुवर्षायु झाड़ीदार लता है जो नीम, आम आदि वृक्षों पर कुण्डलाकार चढ़ती है। काण्ड मांसल होता है तथा शाखाओं से अनेक मांसल सूत्रवत् वाताशन मूल निकल कर नीचे की ओर झूलते रहते हैं। त्वचा ऊपर की घूसरवर्ण, या पीताभ श्वेत, बहुत पतली होती है जिसे हटाने पर नीचे हरित-मांसल भाग दिखाई पड़ता है।
पत्र-हृदयाकार, एकान्तर, जालीदार और स्निग्ध होते हैं।
पुष्प-छोटे, पीतवर्ण या हरिताभ पीत, अक्षीय या अन्त्य मंजरियों में पौधे की पत्तियाँ झड़ने पर निकलते हैं। पुंपुष्प गुच्छों में होते हैं। स्त्रीपुष्प-प्रायः एकल होते हैं।
फल-मटर के समान या अंडाकार, चिकने, मांसल होते हैं जो पकने पर लाल हो जाते हैं। बीज मुड़े होते हैं। बर्षा ऋतु में पुष्प तथा शीतकाल में फल लगते हैं ।
जाति– इसकी एक जाति ‘पद्मगुडूची’ या ‘कन्दगुडूची’ कहलाती है। इसके पत्र बड़े तथा त्रिकोण या त्रिखण्ड होते हैं।
उत्पत्तिस्थान – यह भारत में सर्वत्र 1000 फीट की ऊँचाई तक होता है।
रासायनिक संघटन – इसमें बबॅरिन (Berberine) बावि क्षाराभ, तिक्त ग्लुकोसाइड गिलोइन (Giloin), एक उडनशील तैल तथा बसास्ल पाये जाते हैं। इसके काण्ड से एक स्टार्च (गुडूचीसत्त्व ) निकलता है
Sattu pine ke fayde | गर्मी में सत्तू पीने के फायदे
Giloy उपयोग
- यह त्रिदोषज विकारों में प्रयुक्त होता है।
- घृत के साथ वात, शर्करा के साथ पित्त तथा मधु के साथ कफ के विकारों में दिया जाता है।
- कुष्ठ, वातरक्त आदि में गुडूची से सिद्ध तैल लगाते हैं ।
- तृष्णा, अग्निमांद्य, शूल, यकृद्विकार, कामला, अम्लपित्त, प्रवाहिका, ग्रहणी तथा कृमि में प्रयुक्त होता है।
- हृद्दौर्बल्य, रक्तविकार ( वातरक्त, आमवात आदि ) तथापाण्डु में प्रयुक्त होता है।
- कास में उपयोगी है।
- शुक्रदौरबल्य में देते हैं ।
- प्रमेह विशेषतः मधुमेह में इसका प्रयोग करते हैं।
तापक्रम
जीर्णज्वर तथा विषमज्वर में गुडूची स्वरस देते हैं। इससे ज्वर दाह शान्त होते हैं, अग्नि बढ़ती है तथा दौर्बल्य दूर होता है।
प्रयोज्य अंग – काण्ड ।
मात्रा– क्वाथ 50 – 100 मि० लि०; चूर्ण 3-6 ग्रा०, सत्त्व 1-2 ग्रा० ।
विशिष्ट योग–
गुडूच्यादि चूर्ण, गुरुच्यादि क्वाथ, गुडूचीलीह, अमृतारिष्ट, गुडूचीतैल ।
- Ashwagandha
- Giloy | Guduchi ke fayde
- मंडूकपर्णी उपयोग तथा दुष्प्रभाव:
- Bhringraj tel ke fayde भृंगराज तैल का उपयोग
- Sattu pine ke fayde | गर्मी में सत्तू पीने के फायदे
गुडूची को डाइट में करें शामिल, इम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर इन सौ