Giloy | Guduchi ke fayde

परिचय Giloy गुडूची – कुल: (मेनिस्पर्मेसी – Menispermaccae)नाम-लेटीन- टिनोस्पोरा कॉडिकोलिया (Tinospora cordifolia संस्कृत नाम: गुडूची, मधुपर्णी, अमृता, छिन्नरुहा, वत्सादनी, तन्त्रिका, कुण्डलिनी, चक्रलक्षणिका; हि०- गिलोय, गुडिच Giloy स्वरूप -यह एक बहुवर्षायु झाड़ीदार लता है जो नीम, आम आदि वृक्षों पर कुण्डलाकार चढ़ती है। काण्ड मांसल होता है तथा शाखाओं से अनेक मांसल सूत्रवत् वाताशन मूल निकल … Read more

Bhringraj tel ke fayde भृंगराज तैल का उपयोग

Bhringraj tel ke fayde परिच for example भृंगराज-तैल-का-उपयोग कुल (कम्पोजिटी-Compositae)। नाम-लं०- एक्लिप्टा ऐल्बा (Eclipta alba Hassk.) सं० मृङ्गराज (जिससे केश भौरे के समान शोभायमान हों) स्वरूप श्वेत जाति का यहाँ वर्णन किया गया है। पीत भृङ्गराज का पुष्प पीतवर्ण होता है। इसे केशराज कहते हैं। इसका लैटिन नाम Wedella chinensis Merrill है।पुष्प और फल मार्च … Read more

गोखरू का उपयोग

परिचय in detail In detail:इसे हमारे स्थानीय भाषा में लोग इसे केथुवा कहते हैं संस्कृत में इसका नाम आर्तगल है और इसका लैटिन नाम Xanthium strumarium L. (जैन्थियम स्ट्रूमेरियम), लोकभाषा में लोग इसे छोटा धतूरा भी कहते हैं और छोटा गोखरू भी कहते हैं। कुल:in detail:Asteraceae (ऐस्टरेसी) अंग्रेज़ी नाम: Cocklebur (कॉकलबर) संस्कृत-आर्तगल नीलाम्लान, नीलपुष्पा; हिन्दी-वनोकरा … Read more

महुवा के फल एवं तैल का उपयोग

परिचय कुल– मधूक-कुल (सैपोटेसी-Sapotaceae ) नाम-ले ०-मधूका इण्डिका (Madhuca indica J. F. Gmel.); सं०-मधुक, गुडपुष्प, हि० महुवा, ; त० इलुया; butter tree स्वरूप– यह ४०-५० फीट ऊंचा वृक्ष होता है। त्वक् कृष्णाभ घूसर, फटी हुई, अन्तःकाष्ट रक्ताभ होता है। पत्र-५-६ इन्च लंबे, १३-४३ इन्च चौड़े, अंडाकार- आयताकार, चर्मवत्, १०-१२ सिराओं से युक्त, शाखाओं के अग्र … Read more

पनस/कटहल/जैक फ्रूट

At first कटहल पहली बात जान लीजिए की कटहल दुनिया का सबसे बड़ा फल होता है। चैत्र माह में ही में फल लगते हैं। सामान्य परिचयः – कटहल एक ऐसा फल है जिसको कच्चा हो तो सब्जी के रूप में और पका हो तो फल के रुप में खाते हैं। पकने पर उसका कोवा निकालकर … Read more

धतूरा के आयुर्वेदिक उपयोग

हिन्दू मान्यता में धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। सामान्य परिचयः- … Read more