Ashwagandha

परिचय:ashwagandha कुल-कण्टकारी-कुल (सोलेनेसी-Solanaceae)। नाम-लेटिन-विथैनिया सॉम्निफेरा (Withania somnifra (Linn.) Dunal)। संस्कृत-अश्वगंधा( ashwagandha) वराहकर्णी, हिन्दी असगंध स्वरूप-इसका झाड़ीदार रोमश क्षुष १-५ फुट ऊंचा होता है। शाखायें गोलाकार, चारों ओर फैली रहती हैं। पत्र– एकान्तर, २-४ इन्च लंबे, लट्‌वाकार, श्वेतरोमण होते हैं। पुष्पों के पास पत्ते छोटे एवं अभिमुख होते हैं। पुष्प- पत्रकोणोद्भूत, पीताभ हरित, चिलम के आकार … Read more

Giloy | Guduchi ke fayde

परिचय Giloy गुडूची – कुल: (मेनिस्पर्मेसी – Menispermaccae)नाम-लेटीन- टिनोस्पोरा कॉडिकोलिया (Tinospora cordifolia संस्कृत नाम: गुडूची, मधुपर्णी, अमृता, छिन्नरुहा, वत्सादनी, तन्त्रिका, कुण्डलिनी, चक्रलक्षणिका; हि०- गिलोय, गुडिच Giloy स्वरूप -यह एक बहुवर्षायु झाड़ीदार लता है जो नीम, आम आदि वृक्षों पर कुण्डलाकार चढ़ती है। काण्ड मांसल होता है तथा शाखाओं से अनेक मांसल सूत्रवत् वाताशन मूल निकल … Read more

मंडूकपर्णी उपयोग तथा दुष्प्रभाव:

परिचय: कुल – शतपुष्पा कुल (अम्बेलिफेरी-Umbelliferae)। नाम-लैटिन सेण्टेला एशियाटिका (Centella asiatica (Linn.) मण्डूकपर्णी (मण्डूक-मेढक के समान पत्रवाली), माण्डूकी (सम्भवतः मण्डूकवत् जलासन्न स्थानों में होने के कारण या मण्डूक ऋषि के द्वारा प्रचारित होने के कारण या मण्डूकवत् भूमि पर इतस्ततः फैलने के कारण इसे माण्डूकी कहा गया है)। बाह्मी (बुद्धिवर्धक होने के कारण), सरस्वती (मेध्य … Read more

Bhringraj tel ke fayde भृंगराज तैल का उपयोग

Bhringraj tel ke fayde परिच for example भृंगराज-तैल-का-उपयोग कुल (कम्पोजिटी-Compositae)। नाम-लं०- एक्लिप्टा ऐल्बा (Eclipta alba Hassk.) सं० मृङ्गराज (जिससे केश भौरे के समान शोभायमान हों) स्वरूप श्वेत जाति का यहाँ वर्णन किया गया है। पीत भृङ्गराज का पुष्प पीतवर्ण होता है। इसे केशराज कहते हैं। इसका लैटिन नाम Wedella chinensis Merrill है।पुष्प और फल मार्च … Read more

Sattu pine ke fayde | गर्मी में सत्तू पीने के फायदे

Sattu pine ke fayde परिचय:- सत्तू एक प्रकार से भारतीय व्यंजन है, जो भूने हुए जौ, मक्का या/और चने को पीस कर बनाया जाता है। बिहार में यह काफी लोकप्रिय है इसलिए इसे बिहार का टॉनिक भी कहा जाता है और कई रूपों में प्रयुक्त होता है। सामान्यतः यह चूर्ण के रूप में रहता है … Read more

Brahmacharya rules in Hindi:-शरीर को धारण करने वाले तीन उपस्तम्भ

Brahmacharya rules in Hindi, आहार;निद्रा और ब्रह्मचर्य जो धारण करने वाले प्रधान कारण (स्तम्भ) के समीप रहकर धारण करे या प्रमुख धारक की शक्ति में वृद्धि कर दे उसे उपधारक या उपस्तम्भ कहते है। जैसे घर को धारण करने वाले मुख्य स्तम्भों (खम्भों (Pillar)) के निकट उनको बल प्रदान करने वाले स्तम्भों को उपस्तम्भ (Sub … Read more

गोखरू का उपयोग

परिचय in detail In detail:इसे हमारे स्थानीय भाषा में लोग इसे केथुवा कहते हैं संस्कृत में इसका नाम आर्तगल है और इसका लैटिन नाम Xanthium strumarium L. (जैन्थियम स्ट्रूमेरियम), लोकभाषा में लोग इसे छोटा धतूरा भी कहते हैं और छोटा गोखरू भी कहते हैं। कुल:in detail:Asteraceae (ऐस्टरेसी) अंग्रेज़ी नाम: Cocklebur (कॉकलबर) संस्कृत-आर्तगल नीलाम्लान, नीलपुष्पा; हिन्दी-वनोकरा … Read more

महुवा के फल एवं तैल का उपयोग

परिचय कुल– मधूक-कुल (सैपोटेसी-Sapotaceae ) नाम-ले ०-मधूका इण्डिका (Madhuca indica J. F. Gmel.); सं०-मधुक, गुडपुष्प, हि० महुवा, ; त० इलुया; butter tree स्वरूप– यह ४०-५० फीट ऊंचा वृक्ष होता है। त्वक् कृष्णाभ घूसर, फटी हुई, अन्तःकाष्ट रक्ताभ होता है। पत्र-५-६ इन्च लंबे, १३-४३ इन्च चौड़े, अंडाकार- आयताकार, चर्मवत्, १०-१२ सिराओं से युक्त, शाखाओं के अग्र … Read more

पनस/कटहल/जैक फ्रूट

At first कटहल पहली बात जान लीजिए की कटहल दुनिया का सबसे बड़ा फल होता है। चैत्र माह में ही में फल लगते हैं। सामान्य परिचयः – कटहल एक ऐसा फल है जिसको कच्चा हो तो सब्जी के रूप में और पका हो तो फल के रुप में खाते हैं। पकने पर उसका कोवा निकालकर … Read more

धतूरा के आयुर्वेदिक उपयोग

हिन्दू मान्यता में धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं। सामान्य परिचयः- … Read more