धतूरा के आयुर्वेदिक उपयोग

हिन्दू मान्यता में धतूरे के फल, फूल और पत्ते शंकरजी पर चढ़ाते हैं। आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं।

सामान्य परिचयः-

  • साधारण नामः- काला धतूरा (Thorn Apple)
  • वैज्ञानिक नाम: – Datura metel
  • कुल:- solanaceae
  • पर्याय नामः- धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल

धतूरा दो तीन हाथ ऊँचा एक पौधा जिसके पत्ते सात आठ अंगुल तक लंबे और पाँच छह अंगुल चौड़े तथा कौनदार होते हैं। इसमें घंटो के आकार के बड़े बड़े और सुहांवने सफेद फूल लगते हैं। फल इसके अंडी के फलों के समान गोल और काँटेदार पर उनसे बड़े बड़े होते हैं। अंडी के फल के उपर जो काँटे निकले होते हैं वे घने लंबे और मुलायम होते हैं, पर धतूरे के फल के ऊपर काँटे कम, छोटे और कुछ अधिक कड़े होते हैं। कंटकहीन फलवाला धतूरा भी होता है। फलों के भीतर बीज भरे होते हैं जो बहुत विषैले होते है। जब ये बीज पुष्ट हो जाते हैं तब फल फट जाते हैं। धतूरे कई प्रकार के होते हैं पर मुख्य भेद दो माने जाते है। सफेद धतूरा और काला धतूरा।

धतूरा के आयुर्वेदिक उपयोगः

1) काला धतूरा के बीज, पत्तियों और जड़ों का उपयोग पागलपन, बुखार, दस्त, मस्तिष्क संबंधी जटिलताओं, त्वचा रोगों में किया जाता है।

2) इसके पत्तों और बीज के रस को तेल में मिलाकर गठिया के सूजन, फोड़े और गांठों में दर्द को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।

3) कफ को ठीक करने के लिए इसके पौधे की पत्तियों से धूम्रपान किया जाता है।

4) इसकी जड़ों का उपयोग दांत दर्द और दांतों को साफ करने में किया जाता है।

5) काला धतूरा को दूध में उबाल कर मक्खन के साथ पागलपन के इलाज में दिया जाता है।

6) इसके बीजों के रस को सरसों के तेल तथा अन्य सामग्री में मिलाकर कुष्ठ रोग में लगाते हैं।

7) थोड़े से चूने के साथ इसकी पत्तियों का पेस्ट खुजली के इलाज में इस्तेमाल होता है।

8) बुखार में 4 दिनों तक दिन में दो बार काली मिर्च और लहसुन के साथ पत्तियों को पीसकर बनाई गई गोली दिया जाता है।

प्रयोजान्गः- बीज, पत्ती, फल

नोटः- इसका प्रयोग अल्प मात्रा में ही औषधीय रूप से किया जाता है वरना यह विष समान प्राणघातक साबित होता है।

Leave a Comment